Thursday, 8 November 2012

इंतज़ार

वो तुम्हारी याद आज तक बाकी है
अधूरे सवाल आज तक बाकी है

किस कदर अपनत्व निभाया तुमने
बिखरे मोती पिरोया तुमने
कलियों से उपवन सजाया तुमने
अँधेरे में दिया जलाया तुमने
वो एतवार आज तक बाकी है।
तुम्हारी याद आज तक बाकी है ...

चितवन में कैसी चंचलता थी तुममे
शब्दों में कैसी कोमलता थी तुममे
नयनों में कैसी मादकता थी तुममे
हृदय में कैसी निर्मलता थी तुममे
वो एहसास आज तक बाकी है।
तुम्हारी याद आज तक बाकी है ...

कहा था साथ चलते रहेंगे, ज़िन्दगी भर हम
मुड गए उस राह से, बिना रखे ही कदम
इस व्यथा के साथ ही चलता रहूँगा
बस तुम्हारा इंतज़ार करता रहूँगा
वो मुलाकात आज तक बाकी है।
तुम्हारी याद आज तक बाकी है ...

कुछ सवाल एसे भी थे, जो अधूरे रह गए
जो सपने हमारे थे, वो पराये रह गए
रोशनी करके जहाँ को, तुम अँधेरा कर गए
वो तलाश उजाले की आज तक बाकी है।

वो तुम्हारी याद आज तक बाकी है 
अधूरे सवाल आज तक बाकी है ...

1 comment: